CURRENT GK 24 DEC 2016



दैनिक समसामयिकी 


24 December 2016(Saturday)

1.सीजीएसटी और एसजीएसटी को भी मिली हरी झंडी

• बहु-प्रतीक्षित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए जीएसटी काउंसिल ने शुक्रवार को सीजीएसटी, एसजीएसटी और क्षतिपूर्ति विधेयक के प्रावधानों को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी।
• क्षतिपूर्ति विधेयक के नए प्रावधानों के तहत रायों को राजस्व हानि का भुगतान हर दूसरे महीने किया जाएगा। काउंसिल अब 3-4 जनवरी को होने वाली बैठक में इन विधेयकों पर अंतिम मुहर लगा देगी।
• हालांकि दोहरे नियंत्रण पर केंद्र और राज्यों  के बीच अब भी मतभेद बरकरार हैं। काउंसिल अगली बैठक में इंटीग्रेटेड जीएसटी (आइजीएसटी) बिल के मसौदे के साथ इस मुद्दे पर भी चर्चा होगी।
• जीएसटी काउंसिल की सातवीं बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सरकार एक अप्रैल, 2017 से जीएसटी लागू करने के लिए हरसंभव कोशिश कर रही है। काउंसिल की बैठक में सभी निर्णय आम राय से लिए जा रहे हैं।
• जीएसटी का जो अहम मुद्दा बचा है, उसमें दोहरे नियंत्रण और आइजीएसटी बिल के मसौदे को मंजूरी देना है। इन पर अगली बैठक में चर्चा होगी। इसके बाद काउंसिल सेवा और वस्तु वार जीएसटी की प्रस्तावित दरों पर विचार करेगी।
• राज्यों  ने मांगा अधिक मुआवजा : जीएसटी लागू होने पर राज्यों को राजस्व हानि की भरपाई लक्जरी कारों और तंबाकू जैसी वस्तुओं पर लगने वाले अतिरिक्त सेस से की जाएगी। हालांकि आठ नवंबर को 500 रुपये और 1000 रुपये के पुराने नोट बंद किए जाने के केंद्र के निर्णय के बाद रायों ने अधिक मुआवजे की मांग की है।
• राज्यों की दलील है कि नोटबंदी के फैसले से उनके राजस्व पर असर पड़ेगा। शुरू में माना जा रहा था कि जीएसटी लागू होने पर सिर्फ चार या पांच राज्यों को क्षतिपूर्ति की जरूरत पड़ेगी। हालांकि नोटबंदी के बाद रायों ऐसे राज्यों की संख्या बढ़ सकती है।
• माना जा रहा है कि सरकार क्षतिपूर्ति कोष के स्रोत को पुन: परिभाषित कर सकती है। इसे बदलकर ‘सेस व जीएसटी काउंसिल द्वारा तय किए जाने वाले अन्य कर’ के माध्यम से किया जा सकता है। अब तक क्षतिपूर्ति विधेयक में यही प्रावधान था कि राजस्व हानि की भरपाई सिर्फ सेस से की जाएगी।
• हालांकि, आंध्र प्रदेश सहित कुछ राज्यों ने सेस के जरिये रायों को क्षतिपूर्ति करने के केंद्र के प्रस्ताव पर एतराज जताया था। यही वजह है कि काउंसिल इस प्रावधान में बदलाव के लिए तैयार हुई है। बैठक के दौरान कई राज्यों के वित्त मंत्रियों ने यह भी कहा कि पूर्व में मंजूर 55,000 करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति का आंकड़ा पर्याप्त नहीं होगा। पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्र ने कहा कि नोटबंदी से उनके राज्य के राजस्व में 20 से 30 प्रतिशत की कमी आने की संभावना है।

2. वायुसेना को सी-17 परिवहन विमान खरीदने की स्वीकृति

• भारतीय वायुसेना अब आने वाले समय में और भी यादा शक्तिशाली हो जाएगी। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को सी-17 भारी परिवहन विमान खरीदने की अमुमति प्रदान कर दी है। इस दौरान सरकार ने 5500 करोड़ रुपये में बहुउद्देश्यीय समुद्री विमान खरीदने के लिए प्रस्ताव भी मंजूर कर लिया है।
• रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) ने रक्षामंत्री मनोहर र्पीकर की अध्यक्षता में डीआरडीओ के कामकाज की समीक्षा भी की। इस दौरान डीएसी ने 1265 करोड़ रुपये की लागत से तैयार होने वाले इनफैंट्री लड़ाकू विमानों के अपने ही देश में डिजाइन किए गए।
• विकसित 1500 एनबीसी युद्ध संरक्षण प्रणाली की खरीद को भी मंजूरी प्रदान की है। इस सौदे में परमाणु, जैविक और रसायनिक हमले से बचाने की प्रणाली तैयार करने की जुगत है।
• इसके अलावा, एक अन्य प्रस्ताव में सेना और वायुसेना के लिए 55 निचले स्तर पर नजर रखने वाली हल्की रडार प्रणाली डीएसी ने मंजूर कर दी है।
•  इसकी लागत 419 करोड़ रुपये है। वर्गीकृत प्रस्ताव में हथियारों और गोली हासिल करने के लिए विशेष बल बनाने और हवाई हमलों से बचाव व नियंत्रण प्रणाली (अवाक्स) को भी स्वीकृति मिल गई है।

3. बांग्ला कवि शंख घोष को मिलेगा ज्ञानपीठ पुरस्कार

• बंगाल के मशहूर कवि शंख घोष को वर्ष 2016 के ज्ञानपीठ पुरस्कार के लिए चुना गया है। उनके नाम की घोषणा साहित्यिक संगठन ने की है। शंख घोष बांग्ला भाषा में इस पुरस्कार से सम्मानित होने वाले छठे रचनाकार होंगे।
• एक विज्ञप्ति में बताया गया है कि जानेमाने आलोचक नामवर सिंह की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई ज्ञानपीठ चयन बोर्ड की बैठक में 52वें ज्ञानपीठ सम्मान का फैसला लिया गया। बोर्ड ने इस वर्ष के लिए बांग्ला कवि शंख घोष को चुना।
• 20 वर्षो बाद बांग्ला भाषा का साहित्यकार इस पुरस्कार से सम्मानित होने जा रहा है। इससे पहले 1995 में महाश्वेता देवी को यह पुरस्कार दिया गया था।
• चंडीपुर (अब बांग्लादेश में) में 1932 में जन्मे शंख घोष को इससे पहले साहित्य अकादमी सम्मान और पद्म विभूषण से स

Sandeep Yadav, [24.12.16 06:45]
म्मानित हो चुके हैं। काव्य रचना की शैली और अनुभव का विस्तार उनकी रचनात्मक शक्ति का परिचय देता है।
• सामाजिक स्थिति पर नजर रखने वाले घोष कविता में समय और स्थान को अत्यंत दुर्लभ काव्यात्मक शैली में सामने रखते हैं। कविता में संदेश छिपा होता है लेकिन विवादों से दूर रहती है। घोष की प्रमुख रचनाओं में आदिम लता-गुलमोमी, मुर्खा बारो, सामाजिक नाय, कबीर अभिप्राय, मुख धेके जाय बिग्यपाने और बाबर प्रार्थना आदि शामिल हैं।
• उनकी दिनगुली रातगुली और निहिता पातालछाया आधुनिक कविता की पूरी पीढ़ी को प्रेरणा प्रदान करती हैं।
• भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा दिया जाने वाला यह सम्मान 1962 में शुरू किया गया था। संविधान की आठवीं सूची में शामिल 22 भारतीय भाषाओं में से किसी एक के साहित्यकार को इस सम्मान के लिए चुना जाता है।

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