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  दैनिक समसामयिकी 




1.3.10 लाख मौतों के बाद सीरिया में युद्धविराम : छह साल से चल रहा है गृहयुद्ध, रूस और तुर्की की पहल पर हुआ समझौता

• 3.10 लाख लोगों की मौत के बाद सीरिया में गुरुवार आधी रात से युद्धविराम लागू हो गया। रूस और तुर्की की पहल पर हुए समझौते के पालन के लिए सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद और उनकी सत्ता के खिलाफ संघर्षरत विद्रोही गुटों ने प्रतिबद्धता जताई है।
• आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आइएस) और अल-कायदा से जुड़ा अल-नुसरा जो अब फतह अल-शाम के नाम से जाना जाता है को शांति प्रक्रिया से अलग रखा गया है।
• छह साल से ज्यादा  समय से जारी गृहयुद्ध को खत्म करने के लिए सीरिया में अमल में आया यह साल का तीसरा संघर्षविराम है।
• रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बताया कि सीरियाई सरकार और विद्रोही गुटों ने तीन दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए हैं। ये दस्तावेज अपने-अपने अभियान रोकने, शांति वार्ता शुरू करने और संघर्षविराम की निगरानी से जुड़े हैं।
• रूस ने सीरिया में सैन्य तैनाती में कमी लाने का वादा किया है। हालांकि असद सरकार को उसका समर्थन जारी रहेगा। रूस ने असद के समर्थन में सितंबर 2015 में सीरिया में सैन्य कार्रवाई शुरू की थी।
• रूसी रक्षा मंत्री सर्गेई शोएगु ने कहा कि समझौते के दायरे में जो विद्रोही समूह शामिल हैं उनमें करीब 62 हजार लड़ाके हैं।
• विद्रोहियों के गठबंधन के प्रवक्ता अहमद रमजान ने सभी गुटों से समझौते का पालन करने की अपील की है। उन्होंने बताया कि समझौते से रजामंदी जताने वालों में अहरार अल-शाम, आर्मी ऑफ इस्लाम, फ्री सीरियन आर्मी जैसे महत्वपूर्ण और ताकतवर विद्रोही गुट भी हैं।
• सीरियाई सेना ने अपना अभियान बंद करने की घोषणा करते हुए कहा है कि आइएस, फतह अल-शाम और उनसे जुड़े संगठनों पर पूर्व की तरह कार्रवाई जारी रहेगी। तुर्की के विदेश मंत्री मेवुलुत कावोसोग्लू ने बताया कि सीरिया में लड़ रहे सभी विदेशी लड़ाकों की वापसी होगी।
• हिजबुल्ला के लड़ाके लेबनान लौटेंगे। ईरान समर्थित हिजबुल्ला के हजारों लड़ाके असद के समर्थन में लड़ रहे हैं।
• तीसरा संघर्ष विराम : सीरिया में यह साल का तीसरा संघर्षविराम है। इससे पहले फरवरी और सितंबर में यह बुरी तरह नाकाम रहा था। इन दोनों मौके पर रूस और अमेरिका की पहल पर समझौता लागू हुआ था।
• ताजा समझौता रूस, तुर्की और ईरान की रजामंदी से हुआ है। इसमें सीरियाई संघर्ष के सभी पक्षों को शामिल किया गया है। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने डोनाल्ड


ट्रंप के शपथ लेने के बाद शांति प्रक्रिया में अमेरिका के शामिल होने की उम्मीद जताई है। रूस और तुर्की की पहल पर ही पिछले सप्ताह विद्रोहियों ने पूर्वी अलेप्पो खाली किया था।
• अब क्या? : संघर्षविराम कारगर रहने पर कजाखिस्तान की राजधानी अस्ताना में शांति वार्ता की शुरुआत होगी। सूत्रों के अनुसार सीरिया को तीन हिस्सों में बांटकर रूस, तुर्की और ईरान इनकी निगरानी करेंगे। नए सिरे से चुनाव होने तक असद पद पर बने रहेंगे। आइएस के सफाये पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

2. इस्रइल के साथ हो सकती है शांति स्थापित : अब्बास

• फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने कहा कि उन्हे विास है कि इस्रइल के साथ शांति स्थापित की जा सकती है। अमेरिका के विदेशमंत्री जॉन केरी के पश्चिम एशिया पर दिए गए भाषण पर प्रतिक्रिया देते हुए अब्बास ने कहा कि वह आास्त हैं कि इस्रइल के साथ शांति स्थापित किया जा सकता है लेकिन वार्ता शुरू करने के लिए इस्रइल को पूर्वी यरूशलम में सहित सभी बस्तियों के निर्माण को रोकना होगा।
• फिलीस्तीन के मुख्य वार्ताकार सईब इरेकत ने अब्बास के बयान को पढ़ते हुए कहा, प्रधानमंत्री ने सामरिक विकल्प के रूप में शांति के लिए अपनी पूरी प्रतिबद्धता दोहराई है।
• इस्रइल और फिलीस्तीन के बीच अमेरिका समर्थित शांति वार्ता 2014 में टूट गया। उन्होंने कहा, अब्बास ने फिलीस्तीन की स्थिति को साफ करते कहा जैसे ही इस्रइल की सरकार पूर्वी येरुसलम में सहित सभी बस्तियों के निर्माण को रोक कर और हस्ताक्षर किए गए समझौते को लागू करने के लिए सहमत होगी।

3. भारत के साथ सभी मुद्दों का हल चाहता है पाक

• पाकिस्तान ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह भारत के साथ कश्मीर समेत सभी लंबित मुद्दों का सौहार्दपूर्ण तरीके से समाधान चाहता है। पाकिस्तान ने इस बात पर भी जोर दिया कि कोई देश एकपक्षीय तरीके से सिंधु जल संधि को रद्द नहीं कर सकता।
• विदेश कार्यालय के प्रवक्ता नफीस जकारिया ने कहा, कश्मीर विवाद पाकिस्तान और भारत के बीच ‘‘विवाद की जड़’ है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से लंबित मुद्दों के समाधान के लिए अपनी जरूरी भूमिका निभाने की अपील की। उन्होंने कहा, हम भारत के साथ कश्मीर समेत सभी लंबित मुद्दों का समाधान सौहार्दपूर्ण तरीके से चाहते हैं।
• जकारिया ने कहा, हम कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्तावों के भारत द्वारा लगातार उल्लंघन की निंदा करते हैं।उरी आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा सिंधु जल संधि की समीक्षा किए जाने की खबरों के बीच उन्होंने कहा कि समझौते को एकपक्षीय तरीके से बदला या निलंबित नहीं किया जा सकता। जकारिया ने कहा, पाकिस्तान पैदा हो रहे हालात पर नजर रख रहा है और ऐतिहासिक समझौते के किसी उल्लंघन के मामले में अपनी रणनीति पर चलेगा।
• रेडियो पाकिस्तान ने उनके हवाले से कहा, हम सिंधु जल संधि की रूपरेखा के दायरे में भारत की गतिविधियों का मूल्यांकन करेंगे। संधि के क्रि यान्वयन से जुड़े विवाद को सुलझाने के लिए एक मध्यस्थता पण्राली होने की तरफ इशारा करते हुए जकारिया ने कहा कि इससे जुड़े कई विवाद पहले भी सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझाए गए हैं।

4. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन का विस्तार

• कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने बताया कि वर्ष 2013-14 तक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के अंतर्गत केवल तीन फसलें- चावल, गेहूं, दलहन शामिल थीं। मोदी सरकार द्वारा इस मिशन के अंतर्गत चावल, गेहूं, दलहन, जूट, गन्ना, कपास व मोटे अनाज समेत सात फसलों को शामिल किया जा चुका है।
• वर्ष 2013-14 तक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन दलहन में 16 राज्यों के 482 जिले शामिल थे जो अब आठ उतर पूर्वी राज्यों, तीन पहाड़ी राज्य (जम्मू एवं कश्मीर, हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड) तथा गोवा एवं केरल को शामिल करते हुए वर्ष 2016-17 में दलहन के तहत देश 29 राज्यों के सभी 638 जिले सम्मिलित हैं।
• राष्ट्रीय गोकुल मिशन : राधामोहन सिंह ने बताया कि देश में पहली बार राष्ट्रीय बोवाइन प्रजनन एवं डेयरी विकास कार्यक्रम के तहत देशी नस्लों के संरक्षण और संवर्धन के लिए एक नई पहल ‘‘राष्ट्रीय गोकुल मिशन’ 500 करोड़ रपए के आवंटन के साथ शुरू किया गया।
• इसके तहत 14 गोकुल ग्रामों की स्थापना की जा रही है तथा सांड़ों की नस्लों में सुधार के 35 पशु प्रक्षेत्रों को आधुनिक बनाया गया। मौजूदा स्नातक पशु चिकित्सा कोर्स व मानकों को नियंतण्र स्तर पर स्वीकृत मानकों अनुरूप के बनाने के लिए पशु चिकित्सा न्यूनतम मानक विनियम, 2008 में व्यापक संशोधन किया गया है।

5. बैंकों का सकल एनपीए बढ़कर 9.1 फीसद हुआ

• भारतीय रिजर्व बैंक का कहना है कि बैंकिंग क्षेत्र की आस्तियों की गुणवत्ता भारी दबाव में है और बैंकों की सकल गैर निष्पादित आस्तियां (जीएनपीए) सितम्बर में बढ़कर 9.1 फीसद हो गई जो कि मार्च में 7.8 फीसद थी।केंद्रीय बैंक ने जारी वित्तीय स्थिरता रपट (एफएसआर) में यह निष्कर्ष निकाला ह


ै।
• इसमें कहा गया है,‘‘ अधिसूचित वाणिज्यिक बैंकों का जीएनपीए अनुपात मार्च व सितम्बर 2016 के दौरान 7.8 प्रतिशत से बढ़कर 9.1 प्रतिशत हो गया।’ बैंक का कहना है कि इससे बैंकों कुल फंसे अग्रिमों का अनुपात 11.5 प्रतिशत से बढ़कर 12.3 प्रतिशत हो गया।
• रपट में कहा गया है कि मूल्यांकन में नुकसान के ऊंचे स्तर के मद्देनजर बैंकों के लिए जोखिम निकट भविष्य में भी बना रह सकता है क्योंकि वे अपनी बैलेंस शीट को साफ करेंगे और ऊंची रिण वृद्धि के लिए उनके पास पर्याप्त पूंजी नहीं होगी।आलोच्य अवधि में बड़े कर्जदारों की आस्ति गुणवत्ता में खासी गिरावट आई क्योंकि विशेष उल्लेखित खातों (एसएमए)-2 का हिस्सा सभी बैंक समूहों में बढ़ा है।
•  इसके अनुसार अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का कुल ऋण पोर्टफोलियो में बड़े कर्जदारों का हिस्सा मार्च से सितम्बर 2016 के दौरान घटा जबकि जीएनपीए में उनका हिस्सा इसी दौरान बढ़ा।

6. कैशलैस लेन-देन में तिब्बत चौथे साल लगातार सबसे आगे

• दुनिया की छत कहलाने वाले तिब्बत में कैशलैस व्यवस्था अब सामान्य बात हो गई है। दूर हिमालय में बसे इस इलाके में करीब 17 लाख इंटरनेट कनेक्शन मोबाइल फोन से जुड़े हैं।
•  रेस्तरां, स्मृतिचिन्ह बेचने वाले, दुकानें, मूवी थियेटर सभी जगह ऑनलाइन सेवा है। लगातार चौथे साल तिब्बत कैशलैस लेन देन कर रहा है। यह दावा चीन के मीडिया ने गुरुवार को किया है। इसके मुताबिक, तिब्बत में रहने वाले अब अपने लेन-देन में आमतौर पर डिजिटल भुगतान प्रणाली का उपयोग कर रहे हैं।
• इस रिपोर्ट में कहा गया है कि तिब्बती गहनों की दुकानों पर क्यूआर कोड लगे हैं जिससे भुगतान भी आसान हो गया है। तिब्बत संचार प्रशासन ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, मार्च तक तिब्बत में इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या 16.39 लाख हो गई है।
• चीनी ई-भुगतान मंच अलीपे ने भी एक बयान में बताया कि 2015 में तिब्बत से होने वाले करीब 83.3 प्रतिशत भुगतान मोबाइल के माध्यम से ही हुए हैं और इस साल भी इनमें अच्छी खासी वृद्धि देखी गई है।
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 *भारत के प्रमुख दर्रे...*


काराकोरम दर्रा →     जम्मू-कश्मीर

जोजिला दर्रा  →       जम्मू-कश्मीर

पीरपंजाल दर्रा →      जम्मू-कश्मीर

बनिहाल दर्रा →        जम्मू-कश्मीर

बुर्जिल दर्रा  →          जम्मू-कश्मीर

शिपकीला दर्रा →      हिमाचल प्रदेश

रोहतांग दर्रा →         हिमाचल प्रदेश

बड़ालाचा दर्रा →       हिमाचल प्रदेश

लिपुलेख दर्रा →        उत्तराखंड

माना दर्रा →             उत्तराखंड

नीति दर्रा →             उत्तराखंड

नाथूला दर्रा →          सिक्किम

जैलेप्ला दर्रा →         सिक्किम

बोम्दिला दर्रा →        अरुणाचल प्रदेश

यांग्याप दर्रा →         अरुणाचल प्रदेश

दिफू दर्रा →              अरुणाचल प्रदेश

तुजु दर्रा →               मणिपुर

संचित निधि..*

सरकार को प्राप्त सभी राजस्व, बाजार से लिए गए ऋण और स्वीकृत ऋणों पर प्राप्त ब्याज संचित निधि (Consolidated Fund) में जमा होते हैं।

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 266 के तहत स्थापित है यह ऐसी निधि है जिस मे समस्त एकत्र कर/राजस्व जमा, लिये गये ऋण जमा किये जाते है यह भारत की सर्वाधिक बडी निधि है जो कि संसद के अधीन रखी गयी है कोई भी धन इसमे बिना संसद की पूर्व स्वीकृति के निकाला/जमा या भारित नहीं किया जा सकता है अनु 266 प्रत्येक राज्य की समेकित निधि का वर्णन भी करता है।

*भारित व्यय*

वे व्यय जो कि भारत की संचित निधि पर बिना संसदीय स्वीकृति के भारित होते है ये व्यय या तो संविधान द्वारा स्वीकृत होते है या संसद विधि बना कर डाल देती है कुछ संवैधानिक पदॉ की स्वतंत्रता बनाये रखने के लिये यह व्यय प्रयोग लाये गये है अनु 112[3] मे कुछ भारित व्ययॉ की सूची है
1. राष्ट्रपति के वेतन, भत्ते, कार्यालय से जुडा व्यय है
2. राज्यसभा लोकसभा के सभापतियॉ उपसभापतियॉ के वेतन भत्ते
3.ऋण भार जिनके लिये भारत सरकार उत्तरदायी है [ब्याज सहित]
4.सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीशों के वेतन भत्ते पेंशन तथा उच्च न्यायालय की पेंशने इस पर भारित है
5. महालेखानियंत्रक तथा परीक्षक [केग] के वेतन भत्ते
6. किसी न्यायिक अवार्ड/डिक्री/निर्णय के लिये आवशयक धन जो न्यायालय/ट्रिब्न्यूल द्वारा पारित हो
7. संसद द्वारा विधि बना कर किसी भी व्यय को भारित व्यय कहा जा सकता है
अभी तक संसद ने निर्वाचन आयुक्तॉ के वेतन भत्ते पेंशन, केन्द्रीय सर्तकता आयोग सदस्यॉ के वेतन भत्ते पेंशन भी इस पर भारित किये है।

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