*🌞राजनीति विशेष🌞*
*31 दिसम्बर 2016*
✍✍
*भारत में चुनाव सुधार*
🔰🔰🔰
निर्वाचन प्रणाली में सुधार को लेकर विरोध और उदासीनता की स्थिति से देश के पूर्व मुख्य चुनाव💐 आयुक्त एस वाई कुरैशी भी हैरान और परेशान हैं। कुरैशी का कहना है कि इलेक्शन रिफॉर्म्स के सुझाव पर एक्शन नहीं होता। सरकार से एक ही जवाब मिलता है कि आम सहमति नहीं बन पा रही है। चिंता की बात यह है कि इससे जनता की निगाह में नेताओं की इमेज निरंतर खराब होती जा रही है। इलेक्शन भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा जरिया है, चुनाव के दौरान तमाम तरह के अवैध पैसों का लोग चुनाव में इस्तेमाल करते हैं, लेकिन साथ में महंगाई को देखते हुए ये भी आलोचना होती रहती है कि खर्च की लिमिट बढ़ाई जानी चाहिए, अगर आप उस भ्रष्टाचार को रोकना चाहते हैं कि कालेधन का प्रयोग ना हो तो आपको
एक रैशनल तरीके से सोचना पड़ेगा, एक तालमेल बनाकर चलना पड़ेगा ।
*चुनाव सुधार*
🔰🔰
हमारे पूर्वजों की आकांक्षाओं को बनाए रखने, संविधान के आदर्शों को पूरा करने और निष्पक्ष चुनाव करा कर सच्चे लोकतंत्र की अक्षरशः भावना को बनाए रखने के लिए चुनाव सुधार आवश्यक हैं। चुनावी सुधारों की प्रक्रिया का मुख्य फोकस लोकतंत्र के मूल अर्थ को व्यापक बनाना, इसे नागरिकों के अधिक अनुकूल बनाना और व्यस्क मताधिकार का अक्षरशः कार्यान्वयन करना है।
*चुनावी सुधारों से संबंधित संवैधानिक अनुच्छेद इस प्रकार हैं–*
🔰🔰🔰
अनुच्छेद 324– 329 चुनावों और चुनावी सुधारों के बारे में बताता है।अनुच्छेद 324 निर्वाचन आयोग को दिए गए अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण अधिकारों के बारे में है।अनुच्छेद 325 कहता है कि कोई भी व्यक्ति धर्म, वंश, जाति या लिंग के आधार पर विशेष मतदाता सूची से न बाहर किया जा सकता है या न ही शामिल किए जाने का दावा कर सकता है।अनुच्छेद 326 व्यस्क मताधिकार के आधार पर लोकसभा चुनावों और राज्य विधानसभा चुनावों के बारे में बात करता है।अनुच्छेद 327 विधानमंडल चुनावों के संबंध में प्रावधान बनाने के लिए संसद को शक्ति प्रदान करता है।अनुच्छेद 328 राज्य विधानमंडल के चुनाव के संबंध में प्रावधान बनाने के लिए राज्य विधानमंडल को शक्ति प्रदान करता है।अनुच्छेद 329 चुनावी मामलों से संबंधित अदालतों द्वारा किसी भी हस्तक्षेप करने के लिए अदालत पर बार (वकीलों का समूह) बनाने की शक्ति प्रदान करता है।
*चुनाव सुधार के पहलूः*
*निर्वाचन सुधार के निम्नलिखित पहलू होते हैं–*
🔰🔰🔰
उम्मीदवारों की पृष्ठभूमि के बारे में पारदर्शिता।चुनाव प्रक्रिया को बाहुबल और पैसे की शक्ति से मुक्त रखना।व्यापार और राजनीति के बीच सांठगांठ पर रोक लगाना।वोट डालने के योग्य सभी नागरिकों को एक आरामदायक, दोस्ताना और वोट डालने की सुविधा देता है।मतदाताओं की गोपनीयता कायम रखना।बिना किसी से प्रभावित हुए राजनीतिक दलों का निष्पक्ष पंजीकरण और मान्यता।अनपढ़ मतदाताओं को मतदान सूची से हटाने का समाधान।मीडिया की गैर– पक्षपातपूर्ण भूमिका।आदर्श आचारसंहिता का कुशलता से लागू करना।निर्वाचन नामावलियों को व्यवस्थित तरीके से तैयार करना।चुनाव प्रक्रियाओं में तेजी लाना।चुनावी प्रक्रियाओं की तर्कसंगत व्याख्या।
*चुनाव सुधारों की आवश्यकताः*
🔰🔰🔰
चुनाव सुधारों की जरूरत मुख्य रूप से दुर्भावनापूर्ण लोगों और बुरी गतिविधियों को दूर करने की वजह से की गई है। इसकी जरूरत की व्याख्या इस प्रकार कर सकते हैं–चुनाव प्रक्रिया को दिन की स्थिति प्रतिबिंबित करनी चाहिए और समकालीन समाज पर उसे थोपा नहीं जाना चाहिए।राजनीति के अपराधीकरण को रोकने के लिए।सरकारी तंत्र के दुरुपयोग को रोकने के लिए।चुनाव प्रक्रियाओं में पैसे और बाहुबल को हतोत्साहित करने के लिए।चुनाव में अ– गंभीर उम्मीदवारों को हताश करने के लिए।निर्वाचन प्रक्रियाओं को तटस्थ होना चाहिए, किसी भी राजनीतिक दल के लिए पूर्वाग्रहों से मुक्त होना चाहिए।निर्वाचन प्रक्रियाओं के प्रति नागरिकों में विश्वास को बढ़ाने के लिए।चुनाव प्रक्रियाओं में प्रौद्योगिकी का उपयोग करने और आज के समय की पद्धतियों के अनुरूप बनाने के लिए।

Comments
Post a Comment