मानव शरीर की ज्ञानेंद्रियों Sense Organs in hindi




१. मानव शरीर की ज्ञानेंद्रियों का विस्तृत वर्णन करें ?
उत्तर- हमारा शरीर एक मशीन की तरह है जो बहुत से कार्य कर सकता है। यह अनेक भागों से मिलकर बना है। प्रत्येक भाग को एक विशेष प्रकार का कार्य करना पड़ता है और सभी भाग मिलकर कार्य करते हैं। ताकि हम जीवित और स्वस्थ बने रह सकें। प्रत्येक भाग को एक अंग कहा जाता है। ज्ञानेंद्रियां भी उन अंगो में सम्मिलित है। ज्ञानेंद्रियां हमारे आसपास घटित होने वाली घटनाओं को जानने में हमारी सहायता करती है। हमारे शरीर में पांच ज्ञानेंद्रियां होती है - आंख, नाक, कान, जीभ और हाथ।

1 . आंख - हम अपनी आंखों के द्वारा वस्तुओं को देखते हैं किसी वस्तु से प्रतिबिंबित प्रकाश हमारी आंखों में पड़ता है। यह मस्तिष्क तक संदेश पहुंचाता है जो हमें बताता है कि हम क्या देख रहे हैं। पलकें हमारी आंखों की रक्षा करती है और आंसुओं से हमारी आंखें साफ हो जाती है।

2. नाक- हम सांस लेने के लिए तथा किसी वस्तु को सूंघने ( उसकी गंध को जानने ) के लिए अपनी नाक का प्रयोग करते हैं हमें नाक से ही सांस लेना चाहिए , क्योंकि नाक के बाल वायु में उपस्थित हानिकारक रोगाणुओं के शरीर के अंदर जाने से रोकने में सहायक होते हैं। हमारे नाक में झिल्ली का आवरण होता है जिस पर छोटे छोटे बाल एवं घ्राण ग्रंथियों होती हैं जब हम नाक से सांस लेते हैं तो हमारे नाक की भीतरी त्वचा के नीचे उपस्थिति तंत्रिका तंतुओ को वायु से पहुंची प्रेरणाएँ उत्तेजित करती हैं। वहाँ से प्रेरणाएं मस्तिष्क के घ्राण ग्रंथियों/केंद्रो में पहुंचा दी जाती है। मस्तिष्क इनको गंध संवेदना में बदल देता है और हम गंध का अनुभव करते हैं। अत: हमारा नाम मस्तिष्क तक संदेश पहुंचाता है जो बताता है कि हम क्या सूंघ रहे हैं या किसकी गंध महसूस कर रहे है।

3. कान - हम अपने कानों के माध्यम से दूसरों की बातें सुनते हैं। हमारे कान के दो भाग होते हैं - बाहरी भाग और आंतरिक भाग। हम अपने कान का सिर्फ बाहरी भाग देख सकते हैं। इसका आंतरिक भाग सिर के अंदर होता है। जब ध्वनि तरंगें वायु में कंपन पैदा कर देती हैं तो वायु से ये तरंगे बाहरी कान से कर्ण नलिका से गुजरकर कान के परदे से जा टकराती हैं। इससे कान का पर्दा उत्तेजित होकर कम्पन करना शुरु कर देता है फिर ये कम्पन कान की हड्डियों से आंतरिक कान के द्रव में भी कम्पन पैदा कर देती हैं। इन कम्पनों से पैदा हुई आवाज को श्रवण नाड़ियां मस्तिष्क को भेज देती है। इस प्रकार सुनने की प्रक्रिया पूरी होती है।

4. जीभ - हम अपनी जीभ के द्वारा वस्तु के स्वाद को जानते हैं । सम्पूर्ण जीभ पर स्वाद कोपलें होती है । अंदर नाड़ियाँ है जो मस्तिष्क में संदेश पहुंचाती है जो हमें बताती है कि हम क्या खा रहे हैं । स्वाद चार प्रकार के होते है ; मीठा , नमकीन , कड़वा और खट्टा । जीभ के विभिन्न भाग विभिन्न स्वाद बताते हैं ।

5. हाथ - जब हम वस्तुओं को छूते या स्पर्श करते है तो हम उनको महसूस करते है । हम कठोरपन , कोमलपन , खुरदरेपन, उष्मा , ठंड और पीड़ा महसूस कर सकते है । चमड़ी की सतह के नीचे नाड़ियाँ वस्तुओं को महसूस करने में हमारी सहायता करती है । ये मस्तिष्क में हमारे द्वारा वस्तुओं के स्पर्श का संदेश पहुंचाती है ।





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